Sunday, January 5, 2020

CAA - NRC - NPR का विरोध

👆🏻CAA - NRC - NPR का विरोध कर रहे  सुप्रीम कॉर्ट के वकीलों ने एक बडी टीम बनाई है और योगी व यूपी पुलिस को चेतावनी दी है कि ये बर्बरता बंद करें नहीं तो आप की जगह जेल है ।।
इस वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर  करदो ताकी योगी और पुलिस देख सके!!

Wednesday, December 18, 2019

निर्भया केस: क्या होता है ब्लैक वारंट, जिससे होती है फांसी

निर्भया के दोषियों को डेथ वारंट जारी करने की सुनवाई को पटियाला हाउस कोर्ट ने टाल दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी। कोर्ट जैसे ही इस मामले के दोषियों को लेकर ब्लैक वारंट यानी मौत के पैगाम जारी करेगा वैसे ही ये आरोपी फांसी पर लटका दिए जाएंगे। 

निर्भया केस में ब्लैक वारंट जारी होते ही आजादी के बाद भारत में फांसी पाने वाले ये 58वें, 59वें, 60वें और 61वें दोषी होंगे। आखिरी बार फांसी 1993 के बम धमाके में दोषी याकूब मेमन को 2015 में दी गई थी। जेल प्रशासन के सुझाव और तैयारियों को देखकर अदालत फांसी की तारीख और वक्त मुकर्रर करेगी जिसे आम भाषा में ब्लैक वारंट कहा जाता है। 

ब्लैक वारंट जारी होते ही जेल प्रशासन जल्लाद के इंतजाम में जुट जाएगी। बता दें कि कसाब, अफजल गुरू और याकूब मेमन को फांसी किसी पेशेवर जल्लाद ने नहीं, बल्कि जेल के कर्मचारी ने दी थी।

एक तख्त पर दो दोषियों को दी जा सकती है फांसी
तिहाड़ में जो फांसी घर है उसके तख्त की लंबाई करीब दस फीट है, जिसके ऊपर दो दोषियों को आसानी से खड़ा किया जा सकता है। इस तख्ते के ऊपर लोहे की रॉड पर दो दोषियों के लिए फंदे लगाने होंगे। तख्त के नीचे भी लोहे की रॉड होती है, जिससे तख्त खुलता और बंद होता है। इस रॉड का कनेक्शन तख्त के साइड में लगे लिवर से होता है। लिवर खींचते ही नीचे की रॉड हट जाती है और तख्त के दोनों सिरे नीचे की तरफ खुल जाते हैं, जिससे तख्त पर खड़ा दोषी के पैर नीचे झूल जाते हैं। हालांकि जेल प्रशासन का कहना है कि वह दोषियों को एक-एक कर फांसी देंगे। 

दोषियों के वजन से तैयार होते हैं फंदे

जेल अधिकारियों के मुताबिक, दोषियों के वजन के हिसाब से फंदे की रस्सी की लंबाई तय होती है। तख्त के नीचे की गहराई करीब 15 फीट है, ताकि फंदे पर लटकने के बाद झूलते पैर का फासला हो। कम वजन वाले दोषी को लटकाने के लिए रस्सी की लंबाई ज्यादा रखी जाती है, जबकि भारी वजन वाले के लिए रस्सी की लंबाई कम रखी जाती है। सूत्रों का कहना है कि अफजल की फांसी के ट्रायल के दौरान दो बार रस्सी टूट गई थी।   

वसीयत और आखिरी मुलाकात
फांसी दिए जाने से पहले दोषी अगर वसीयत तैयार करना चाहता है और अपने रिश्तेदार से मिलने की ख्वाहिश करता है तो उसे इस बात की इजाजत दी जाती है। वसीयत तैयार करने के दौरान मजिस्ट्रेट को जेल में बुलाया जाता है। फांसी के दिन दोषी को नहाने के बाद पहनने के लिए नए कपड़े दिए जाते हैं।

फंदे पर लटकाने की यह होती है प्रक्रिया

दोषी को तैयार करने के बाद मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में दोषी को सेल से फांसी के तख्ते पर ले जाया जाता है। इस दौरान उसके चेहरे को कपड़े से ढक दिया जाता है ताकि वह आसपास चल रही गतिविधि को नहीं दे सके। फांसी के तख्ते तक ले जाने के दौरान मौत को सामने देखकर दोषी चल नहीं पाता है। ऐसी स्थिति में उसके साथ चल रहे पुलिसकर्मी उसे सहारा देकर ले जाते हैं। जेल मैन्युअल के अनुसार, इस दौरान एक डॉक्टर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, जेलर, डिप्टी जेलर और करीब 12 पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं।  
फांसी घर में एकदम खामोशी होती है। यहां सारी कार्रवाई इशारों में होती है। ब्लैक वारंट में तय समय पर दोषी को वहां लाकर उसकी गर्दन में फंदा पहनाया जाता है, फिर जेलर के रुमाल गिराकर इशारा करने पर जल्लाद या फिर जेल का कर्मचारी लिवर को खींच देता है। लिवर खींचते ही तख्त खुल जाता है और फंदा पर लटका दोषी नीचे चला जाता है। कुछ देर बाद डॉक्टर वहां पहुंचकर उसकी जांच करता है। धड़कन बंद होने की पुष्टि होने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। उसके बाद उसे फंदे से उतार लिया जाता है।  

Saturday, November 30, 2019

एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज को मिला स्काॅच अवार्ड

एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज को मिला स्काॅच अवार्ड

लखनऊ । गरीब मरीजों के इलाज के लिए चल रही आयुष्मान भारत योजना को बेहतर ढंग से लागू करने वाले यूपी के प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थान एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज एण्ड हास्पिटल को स्काॅच एवार्ड से नवाजा गया। इण्डिया इकोनोमिक्स फोरम दिल्ली द्वारा यह एवार्ड दिया गया।
एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज जो प्रदेश में गरीब मरीजों को आधुनिक इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रसिद्ध है। प्रदेश व देश के कई नामी चिकित्सा संस्थानो को पछाडते हुए एराज ने यह उपलब्धि हासिल की। आयुष्मान भारत योजना की कैटेगरी मे पुरस्कार पाने के लिए प्रदेश के दर्जनों चिकित्सा सस्थानों ने आवेदन दिया था। फोरम द्वारा तय कई मानकों पर जब उन सस्थाओं को परखा गया तो सिर्फ एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज ही मानक पूरे कर सका। ज्ञात हो कि एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल में आयुष्मान योजना गत वर्ष अक्टूबर माह में लागू की गई थी। मात्र 13 माह में एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज में योजना के तहत सैकड़ो मरीजों को लाभान्वित किया जा चुका है इसमें 70 से अधिक हृदय रोग व जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी प्रमुख हैं।
देश के प्रतिष्टित स्काॅच एवार्ड के लिए देश के सभी प्रमुख सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सा सस्थानों ने आवेदन किया था। इसमें 95 प्रतिशत के करीब सरकारी चिकित्सा सस्थान थे लेकिन निजी चिकित्सा संस्थान एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज ने सिलवर एवार्ड अपने नाम करते हुए सफलता के झण्डे गाड़े। मालूम हो कि आयुष्मान योजना की श्रेणी में गुजरात व हरयाणा के स्टेट हेल्थ सोसायटी को गोल्ड मिला। डाॅ0 डी0के0 वासुनकर व डाॅ0 नवीन सिंह ने बताया कि एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल को स्काॅच आर्डर-आॅफ मेरिट के लिये भी चयनित किया गया। यह एवार्ड का सेमीफाइनल राउण्ड था और यूपी से सिर्फ एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज ही था जो इसमें स्थान बना सका। डाॅ0 वासुनकर नें बताया कि मेडिकल कालेज में गरीब मरीजों का ध्यान में रखते हुए चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करायी जाती रही हैं और योजना लागू होने के बाद भी उन्हें उसी प्रकार उच्च स्तर का इलाज मुहैया कराया जा रहा है।




आयुष्मान योजना के तहत सफल उपचार और सर्जरी में एरा मेडिकल कालेज यू0पी0 व उत्तराखण्ड सहित कई राज्यो में पहले पायदान पर है। एरा मेडिकल कालेज के कार्य की सराहना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कर चुके है। आयुष्मान योजना  के प्रथम वर्षगांठ पर गत 23 सितम्बर को लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुतरित वीडियो मे एरा मेडिकल कालेज के कार्य को भी सराहा गया था। कुछ दिन पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को खुद एरा मेडिकल कालेज आकर यहां आयुष्मान योजना के तहत हो रहे गरीब मरीजों के उपचार की सराहना की थी।


एराज़ लखनऊ मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल,
लखनऊ

manusmriti and samvidhan

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Thursday, November 28, 2019

भाजपा ! सफलता के शिखर पर असफलता!!

भाजपा के बड़ों ने कराई फजीहत!

अपराजेय योद्धा शरद के सामने अजित हुए पराजित ।

भाजपा का सत्ता अभियान छीछालेदर के साथ महाराष्ट्र में रुका।

विपक्ष में ना बैठना एवं शिवसेना की ना मानना पड़ा भारी?


👍👍 महाराष्ट्र में संपन्न चुनाव के बाद जहां भाजपा  थी वहीं से  थोड़ा आगे दौड़ कर फिर वही पहुंच गई। भाजपा की फजीहत भाजपा के बड़े रणनीतिकारों की वजह से हो गई! सभी का निशाना चूक गया और बड़ी छीछालेदर के साथ पार्टी का सत्ता अभियान यहां रुक गया? अपराजित योद्धा शरद पवार के सामने बागी भतीजे अजित पवार पराजित हो गये। साफ है कि इस पूरे मामले में देवेंद्र फडणवीस की इस्तीफे के बाद भाजपा को साख के मुद्दे पर भारी कीमत चुकानी पड़ी है!

देश एवं देश के अधिकांशतया प्रदेशों में सत्ता पर काबिज भाजपा को महाराष्ट्र में तगड़ा झटका लगा है। यहां हाल ही में मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए देवेंद्र फडणवीस इस्तीफा दे चुके हैं। बागी अजित पवार भी इस्तीफा देकर अपने राजनीतिक भविष्य की अंधी सुरंग में है! पूरे मामले में यहाँ शिवसेना एनसीपी एवं कांग्रेस को साथ लाकर अपनी मुहिम में कामयाब दिख रही है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भाजपा के रणनीतिकारों में जैसे खलबली मच गई। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री की मुलाकात हुई और उसके बाद देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा हो गया। यदि पूरे मामले को बारीकी से देखा जाए तो यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा किसी पार्टी की किरकिरी हुई है तो वह है भाजपा? चर्चाओं के मुताबिक भाजपा यहां जिस प्रकार से सत्ता के लिए उतावली थी उसका उतावलापन ही उसकी साख पर बट्टा लगा गया! भाजपा के रणनीतिकार महाराष्ट्र में फेल हो गए! उन्होंने शरद पवार के घर सेंध लगाई लेकिन अजित पवार भाजपा के लिए असफलता का कलंक बन गए।

महाराष्ट्र की जनता ने वैसे तो शिवसेना एवं भाजपा को जनादेश देकर सत्ता में वापस लाने का काम किया था। लेकिन शिवसेना जब मुख्यमंत्री के पद पर अड़ी तो भाजपा को यह रास नहीं आया। महाराष्ट्र में भाजपा का दिल बड़ा नहीं दिखा। यदि ऐसा होता तो आज शिवसेना व भाजपा की सरकार महाराष्ट्र में बनी नजर आती। भाजपा ने शिवसेना को झिड़क दिया!

शिवसेना ने भी सत्ता के उतावलापन में एनसीपी कांग्रेस से जाकर हाथ मिला लिया। कई दिनों तक सियासी प्रपंच हुए और फिर कांग्रेस शिवसेना तथा एनसीपी सरकार बनाने को राजी हो गए।  रात का सपना रात में ही बिखर गया और सुबह मुख्यमंत्री पद पर देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के साथ शपथ ले ली ।महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के निर्देश दिए लेकिन 27 नवंबर से पहले ही मुख्यमंत्री का इस्तीफा महाराष्ट्र को नए पथ पर लेकर चला गया।

महाराष्ट्र  में यदि कोई अपराजेय योद्धा बन कर उभरा तो वह है एनसीपी नेता शरद पवार ।शरद पवार ने यह दिखा दिया कि आज भी रणनीति के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। वह भाजपा को महाराष्ट्र में आमने-सामने बैठकर चुनौती दे सकने में सफल है। बागी अजित पवार डींगें मार रहे थे कि उनके साथ एनसीपी के काफी विधायक हैं लेकिन बेचारे भाजपा के लिए कुछ ना कर पाए। उप मुख्यमंत्री पद से तो छुट्टी मिली है अलबत्ता अब एनसीपी में भी उनकी राह कठिन है।

राजनीतिक चर्चाओं के मुताबिक भाजपा ने महाराष्ट्र में बड़ी गलती की है। उसके चाणक्य कहे जाने वाले बड़े रणनीतिकार यहां पर धूल फांक बैठे ! पार्टी ने सत्ता के उतावलेपन में शुचिता एवं वैचारिक प्रतिबद्धता तो खोयी ही अलबत्ता उसका सत्ता अभियान भी महाराष्ट्र में बड़ी छीछालेदर के साथ रुक गया है। काश भाजपा यहां विपक्ष में ही बैठती अथवा वह शिवसेना को आगे करती तो शायद उसकी इज्जत बची रहती! लेकिन भाजपा को भी बस केवल महाराष्ट्र में कुर्सी और सत्ता नजर आ रही थी! आखिरकार भाजपा के बड़े इस अभियान में अपने हाथ जला बैठे और पूरे देश में भाजपा की जमकर फजीहत करवा डालें? जाहिर है कि इससे जहां भाजपा को आत्ममंथन करने की आवश्यकता होगी वहीं अब देश में विपक्ष के नेता भी अपनी एकता को नए सिरे से आगे बढ़ाने में कामयाब होंगे!

 भाजपा को शिवसेना को सत्ता देने से परहेज था लेकिन एनसीपी से हाथ मिलाने में परहेज नहीं था! उसी तरह एनसीपी और कांग्रेस ने भी भाजपा को भले ही खूब कोसा हो लेकिन हिंदुत्व के अलंबरदार शिवसेना को साथ लेने में उसे भी कोई परहेज नहीं दिखा!

मैं कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया  राजनीतिक विश्लेषकों से चर्चा के बाद  यह अनुमान लगा सकता हूं कि देश की सियासी स्थिति करवट ले रही है? आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति का असर देश के अन्य प्रांतों पर भी पड़ेगा। फिलहाल इसके लिए इंतजार करना होगा ।लेकिन कुछ भी हो महाराष्ट्र में अब नई सरकार के गठन की हवा चल पड़ी है। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस एवं बागी अजित पवार इस्तीफा देकर विपक्ष में बैठने की अवस्था में है। जबकि शिवसेना ,कांग्रेस एन सी पी सत्ता पर काबिज होने के लिए तैयारी में जुटे हैं।

इस पूरे नाटक का पटाक्षेप होता नजर आ रहा है। लेकिन इस सियासी प्रदर्शन सबसे ज्यादा यदि किसी की साख को बट्टा लगा है तो वह है भाजपा? स्पष्ट है कि अब भाजपा के बड़े रणनीतिकारों को भी अहंकार की चोटी से नीचे उतर के लिए सोचना होगा! उन्हें समझना होगा कि राजनीति में उन्हें भी टक्कर देने वाले लोग आज भी देश में हैं।  जरूरी है कि भाजपा के रणनीतिकार आगे से अब पार्टी की फजीहत ना हो इसके लिए ईमानदारी से सोचें!

Wednesday, November 27, 2019

ajib hadsa per kar ko chirte huye nikla

फ्रांस में रातों रात एक पेड़ कार को चीरता  हुआ निकला है ये कैसे हुआ कोई नही जानता  सिर्फ अल्ल्लाह जानता है

प्राईवेट ट्रेन तेजस से छटनी शुरू हुई

*Lucknow*


*प्राईवेट ट्रेन तेजस से छटनी शुरू हुई*


तेजस ट्रेन से बिना नोटिस के 20 लोगों को नौकरी से निकाला


40 में से आधे स्टाफ़ को प्राइवेट कंपनी ने तेजस से हटाया


केबिन क्रू, अटेंडेंट, सहित कई पदों पर छटनी


निकाले गए स्टाफ का दर्द,18-18 घण्टे तेजस में डियूटी


बिना नोटिस के तेजस एक्सप्रेस से की जा रही है छटनी


लखनऊ से दिल्ली चलती है सबसे महंगी प्राइवेट ट्रेन